OMG 2 Review, Story and Cast.
सितारे : पंकज त्रिपाठी, अक्षय कुमार यामी गौतम, पवन मल्होत्रा, गोविंद नामदेव, अरुण गोविल, आरुष वर्मा, ब्रिजेंद्र काला, विजय मिश्रा, क्षितिज पवार
राइटर-डायरेक्टर : अमित राय,
जॉनर : सटायर कॉमेडी ड्रामा
स्कूल-कॉलेज में बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने पर हमेशा जोर रहा है. जब जब इस विषय पर कोई फिल्म आती है तब इसकी चर्चा होती है, लेकिन सोल्यूशन कोई नहीं बताता, यह फिल्म मूलतः किशोरे उम्र के लड़कों पर बनी है, मगर 18 साल से कम उम्र के बच्चे इसे देख नहीं सकते. इसलिए अमित राय द्वारा लिखित निर्देशित इस फिल्म को बनाने का मकसद कहां तक पूरा होगा, यह भी एक सवाल है.
कहानी : महाकाल के भक्त काति शरण मुद्गल की यह कहानी है. उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है. दोनों बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं. एक रात बेटा विवेक अपने दोस्त के घर पढ़ने जाता है, जहां बेहोश होने के कारण उसे •अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. कांति जब डॉक्टरों से बात करते हैं तब कुछ अलग ही मामला सामने आ जाता है. इसके बाद स्कूल से विवेक की एक वीडियो क्लिप वायरल हो जाती है. उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है. इससे कांति और विवेक दोनों परेशान है. संकट के इस समय भक्त के मार्गदर्शन के लिए भोलेनाथ अपने गण को भेजते हैं.
लेखन-निर्देशन : फिल्म का विषय ज्ञानवर्धक है. सेक्स एजुकेशन देना एक बड़ी समस्या है. इस फिल्म में भी इस मुद्दे पर चर्चा तो होती है, लेकिन कोई हल नहीं बताया गया है. ऊपर से यह बात भी तर्कसंगत नहीं लगती है कि इस विषय में बताने के लिए भगवान को क्यों अवतरित होना पड़ता है. फिल्म में अक्षय कुमार को भगवान शंकर के दूत के रूप में दिखाया गया है, फिर उनके पीछे नंदी क्यों चलते हैं? इसका भी कोई जवाब नहीं मिलता है. फिल्म के कुछ डायलॉग्स बेहद मार्मिक हैं. इंटरवल से पहले फिल्म कुछ दृश्यों में हंसाती है तो सेक्स वर्कर के सीन में इमोशनल कर देती है. प्रीक्वल 'ओएमजी' के मुकाबले इस बार का कोर्टरुम ड्रामा उतना दमदार नहीं लगता, फिल्मी परिवेश, गीत-संगीत, सिनेमैटोग्राफी आदि इसका मजबूत पक्ष हैं. कहानी का स्ट्रक्चर लगभग पहली फिल्म जैसा ही है.
एक्टिंग : पंकज त्रिपाठी ने कांतिभाई का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है. अक्षय कुमार का देव गण के रूप में मॉडर्न लुक भी अच्छा है. उन्होंने इस किरदार को अपने अंदाज में निभाया है. अगर यामी गौतम का किरदार अधिक दमदार होता तो विषय को ज्यादा प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता था. यामी ने अपना रोल बखूबी निभाया है. मुख्य किरदार के रूप में आरुष वर्मा ने किशोर उम्र के लड़कों की मनोदशा और भावनात्मक उथल-पुथल को बेहतरीन तरीके से पेश किया है. पवन मल्होत्रा की जज की भूमिका में कॉमेडी की झालर है.
प्लस प्वाइंट्स : विषय, एक्टिंग, परिवेश, सिनेमेटोग्राफी, गीत- संगीत. माइनस प्वाइंट्स : निर्देशन, कुछ संदर्भ, कोर्ट रूम ड्रामा, नाटकीय घटनाक्रम.
सारांश : सेक्स एजुकेशन की बात करती यह फिल्म इस मुद्दे को नई दिशा देती है, इसलिए इसे एक बार देखने में कोई दिक्कत नहीं है.
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